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आजकाल हमारे देश मे रोज  आरक्षण को लेकर आवाज़े उठाई जा रहीं है,उसी से ओतप्रोत एक नवयुवक का सवाल।    आरक्षण को सुरुआत में 10 बरसों तक लगाया गया,और सत्ता के लालचियों ने इसे अपने खास वोटबैंक का लुभाने के लिए इसे ज़रिया बनाता गया।              आरक्षण के मार से जूझ रहे लगभग सभी लोगो को ये मानना है कि जिस व्यक्ति कि आय 30,000₹ हो और उसका परिवार छोटा हो तोह उसे एवं उसके परिवार के सदस्यों को आरक्षण की आश्यकता क्यों हैं?जाति को आधार क्यों माना जाता है?     ग़रीबी की कोई जाति, धर्म नहीं होता है।पढ़े लिखें आरक्षण के लाभर्थियो ने आज तक क्यों आरक्षण नहीं छोड़े?30000₹ की तनख्वाह पाने वाला व्यक्ति क्या अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का बोझ नहीं उठा सकता?पढ़ने-लिखने का हक़ सभी को है सब अपनी अपनी काबिलियत से अपने को साबित करे कि वे इस शिक्षा के हकदार हैं या नहीं।    अगड़ी जाति वाले 10,000₹ आय पर भी अपने बच्चों को ऊच्च शिक्षा कैसे दिला देते हैं, उन्हें पढ़ने के लिए कही कोई सीट रिजर्व भी नहीं होता।           यदि उनलोगों को आगे बढ़ाना है तोह आरक्षण की बैसाखियों का सहारा क्यों, अपनी काबिलियत पर क्यों नहीं?     आरक्
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